खुद अपनी पहचान से अंजान हूँ मैं,
अपनी पहचान आपसे करवाऊँ कैसे ??
कुछ सिमटी हुई छोटी सी दूनिया है मेरी ,
इस दिल की गहराइयों में आपको ले जाऊं कैसे ??
आसमान की ऊँचाइयों तक मेरे ख्वाब बिखरे हैं ,
अपने अरमानों की हद आपको दिखाऊँ कैसे ??
मुस्कुराना मेरी आदत है आंसुओं को छुपा कर ,
पर हर ग़म को अपनी हसी से बहलाऊँ कैसे ??
दोस्ती ही मेरी चाहत है और दोस्त मेरी ज़िन्दगी ,
इश्क से अपनी बेरुखी का सबब बताऊँ कैसे ??
होकर मेरी सरहदों में शामिल आप ही जान लो मुझे ,
किस्सी और तरह आपको खुद से मिलवाऊँ कैसे ??
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