इक हवा का झोंका दिल दहला गया
आई जब आँधी तो मैं टकरा गया
सोच के देखो कि ख़ामी किसमें थी
आते जाते जो मिला बहला गया
एक अदना जुगनु था, जब ठान ली
ऐसे चमका चाँद भी शरमा गया
देखो मनमानी ये मेरे ख़्वाब की
जब जी चाहा, दिल हुआ वो रुला गया
'दोस्त' मुझको डर ख़िज़ां का था ही कब
मैं बहारों में ही तो मुरझा गया
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