Monday, December 29, 2008

जो अंधेरों से उठे तो

जो अंधेरों से उठे तो फिर उजाला बन गये
क्या हुआ 'गर जुगनु थे कल, अब सितारा बन गये


जब उठा तूफ़ां तो हम सैलाब से बहने लगे
डूबना था हम को देखो पर किनारा बन गये


सोचते थे इस जहां में हम सभी से हैं जुदा
राह चल के दूसरों की हम ज़माना बन गये



इस ज़मीं पर गिर के देखा, स्याह रातें काट ली
उठ गये फिर आस्मां में और हाला बन गये


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