Thursday, April 29, 2010

तेरी हर बात पे हम ऐतबार करते रहे

तेरी हर बात पे हम ऐतबार करते रहे
तुम हमें छलते रहे, हम तुम्हें प्यार करते रहे ।


कोशिशे करते तो शायद मंजिले मिल जाती
मगर अफ़सोस तुम वादे हज़ार करते रहे ।


मुझको मालूम था तुम नही आओगे फ़िर भी
एक उम्मीद सी लिए इंतज़ार करते रहे ।


ज़िन्दगी यूँ तो गुज़र रही है पहले की तरह
पर पिछले घाव कुछ जीना दुश्वार करते रहे ।

याद आते ही तुम्हारी , सीने के समंदर से
नयन भर - भर के अश्कों की बोछार करते रहे ।


एक घर मैं कहकहे और शहनाई की आवाज़
'दीपक' अरमान मेरा तार - तार करते रहे

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