Thursday, April 29, 2010

जब प्यार रेशे-रेशे में दहक जायेगा

जब प्यार रेशे-रेशे में दहक जायेगा
मेरी हथेलिओं में वो चेहरा चटक जायेगा
उनकी निगाहों में ठहरी नन्ही सी शबनम
प्यार का मेरा जहाँ उसमे छिटक जायेगा

एक मासूम, भोला सा वह निखरा चेहरा
नशीली आँखों पर पलकों का वह पहरा
हथेलिओं में मेरे चेहरा वो खिलखिलायेगा
बेखुदी-बेखुदी से लिपट भाग्य जगायेगा

कभी चुपचाप चेहरा देखते गुजरे शाम
बिन छुवे जिस्म में उतरे सम्मान
गुरुर प्यार का हमको उड़ाता जायेगा
बहुत गहराई में दिल बुलाता जायेगा

जुबान ना बोले तो अक्सर जिस्म बोलता है
मोहब्बत के सारे राज़ वही खोलता है
तुम्हारी महक, तुन्हारे गेसू तब घुमायेगा
बोलो यह वक़्त कब मुझे बुलाएगा .



Aur jab pyar reshe-reshe me dahak jayega
Meri hathelion me wo chehra chatak jayega
Unki nigahon me thahri nanhi si shabnam
Pyar ka mera jahan usame chhitak jayega

Ek masoom, bhola sa woh nikhra chehra
Nashilee aankhon per palkon ka pahra
Hathelion me mere chehra wo khilkhilayega
Bekhudi-Bekhudi se lipat jaag jayega

Kabhi chupchap dekhte gujare ek sham
Bin chhuwe jism me utare samman
Gurur pyar ka humko udataa jayega
Bahut gahrayee me dil bulata jayega

Juban na bole to aksar jism bolta hai
Mohabbat ke saare raaz wahi kholta hai
Tumhari mahak, tunhare gesu tab ghumayega
Bolo yah waqt kab mujhe bulayega,

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