Thursday, April 29, 2010

रूपसी, गदराई,मादक, लचकती डार

और रूपसी, गदराई,मादक, लचकती डार
मन की सेज कब से तुमको रही पुकार
मेरा पुरूष बौना या लगता तुम्हें घिनौना
चाहत रोज बदलकर चादर रहती तुम्हें निहार
और मृगनयनी, होंठ रसीली, छलकाती प्यार
मैं तिनके सा उड़ता जाऊँ पाने को आधार
मैं झूठा हूँ या खोटा हूँ या हूँ एक फरेबी
सत्य ही मेरा करता पुकार होकर बेकरार
और हंसिनी, नभ का संगिनी, इश्क का ख़ुमार
तन भी बनठन, घनन-घनन की करे हुंकार
तन यौवन है या जर्जर है या लगता लाचार
इन बातों का देगा उत्तर बस एक अभिसार
और कुमारी या श्रीमती, नारी की हो लयकार
देह-देह हम दोनों बस इसकी ही जयकार
मन-भावनाऍ मिल ढूढे क्यों भीतर का इकरार
तन भी है भूलभूलैया मुश्किल है उस पार.

Aur roopasi, gadrayi,maadak, lachakti daar
Man ki sej kab se tumko rahi pukaar
Mera purush hai bauna ya lagta tumhe ghinauna
chahat roj badalkar chadar rahti tumhe nihaar
Aur mrignayani, honth rasili, chhalkati pyar
Main tinake sa udata jaun pane ko adhaar
Main jhutha hoon ya khota hoon ya hoon ek farebi
Saty hi mera karta pukar hokar bekrar
Aur hansini, nabh ki sangini, ishq ki khumar
Tan bhi banthan, ghanan-ghanan ki kare hunkar
Tan yovan hai ya jatjar hai ya lagta lachaar
Een baaton ka dega uttar bus ek abhisaar
Aur kumari ya shrimati, nari ki ho laykar
Deh-Deh hum dono bus isaki hi jaykar
Man bhawnayein mil dhoondhe kyon bhitar ka ikrar
Tan bhi hai ek bhoolbhulaiya mushkil hai us paar.

खुशबू और नशा बस नशीली आँखें .

ज़िन्दगी की खोल देती हैं उलझी गांठें
निगाहों में उतर जाये जब नशीली आँखें

दर्द रह ना जाये बांटती हैं रोज खुशियाँ
ख्याल औरों का करती हैं नशीली आँखें

आज है जन्मदिन जन्नत सा हो गया है जहाँ
रंग, खुशबू और नशा बस नशीली आँखें .



Zindagi ki khol deti hain ulaghi gaanthen
Nigahon me utar jaye jab Nasheeli Aankhen

Dard rah na jaye baantati hain roj khushiyan
Khayal Auron ka karti hain Nasheeli Aankhen

Aaj hai janmdin jannat sa ho gaya hai jahan
Rang, khushboo aur nasha bus Nasheeli Aankhen.

जब प्यार रेशे-रेशे में दहक जायेगा

जब प्यार रेशे-रेशे में दहक जायेगा
मेरी हथेलिओं में वो चेहरा चटक जायेगा
उनकी निगाहों में ठहरी नन्ही सी शबनम
प्यार का मेरा जहाँ उसमे छिटक जायेगा

एक मासूम, भोला सा वह निखरा चेहरा
नशीली आँखों पर पलकों का वह पहरा
हथेलिओं में मेरे चेहरा वो खिलखिलायेगा
बेखुदी-बेखुदी से लिपट भाग्य जगायेगा

कभी चुपचाप चेहरा देखते गुजरे शाम
बिन छुवे जिस्म में उतरे सम्मान
गुरुर प्यार का हमको उड़ाता जायेगा
बहुत गहराई में दिल बुलाता जायेगा

जुबान ना बोले तो अक्सर जिस्म बोलता है
मोहब्बत के सारे राज़ वही खोलता है
तुम्हारी महक, तुन्हारे गेसू तब घुमायेगा
बोलो यह वक़्त कब मुझे बुलाएगा .



Aur jab pyar reshe-reshe me dahak jayega
Meri hathelion me wo chehra chatak jayega
Unki nigahon me thahri nanhi si shabnam
Pyar ka mera jahan usame chhitak jayega

Ek masoom, bhola sa woh nikhra chehra
Nashilee aankhon per palkon ka pahra
Hathelion me mere chehra wo khilkhilayega
Bekhudi-Bekhudi se lipat jaag jayega

Kabhi chupchap dekhte gujare ek sham
Bin chhuwe jism me utare samman
Gurur pyar ka humko udataa jayega
Bahut gahrayee me dil bulata jayega

Juban na bole to aksar jism bolta hai
Mohabbat ke saare raaz wahi kholta hai
Tumhari mahak, tunhare gesu tab ghumayega
Bolo yah waqt kab mujhe bulayega,

किया इश्क था जो बा-इसे रुसवाई बन गया

किया इश्क था जो बा-इसे रुसवाई बन गया
यारो तमाम शहर तमाशाई बन गया

बिन मांगे मिल गए मेरी आंखों को रतजगे
मैं जब से एक चाँद का शैदाई बन गया

देखा जो उसका दस्त-ए-हिनाई करीब से
अहसास गूंजती हुई शहनाई बन गया

बरहम हुआ था मेरी किसी बात पर कोई
वो हादसा ही वजह-ए-शानासाई बन गया

करता रहा जो रोज़ मुझे उस से बदगुमां
वो शख्स भी अब उसका तमन्नाई बन गया

वो तेरी भी तो पहली मुहब्बत न थी क़तील
फिर क्या हुआ अगर कोई हरजाई बन गया

खुशी भी दोस्तो से है, गम भी दोस्तो से है,

खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,

तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,

रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,

बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,

नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,

जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,

मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,

काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,

ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,

ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,

यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,

सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,

या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है.....

इक अरसा हुआ धूप में दाढ़ी बनाए हुए

इक अरसा हुआ धूप में दाढ़ी बनाए हुए
इक दड़बे में घुस के श्रृंगार करते हैं

हमसे बड़ा कालिदास कोई और क्या होगा
रोज अपने ही चेहरे पे तेज धार करते हैं

कहते हैं कि उठा लेगा उठानेवाला एक दिन
और हम हैं कि अलार्म पे ऐतबार करते हैं

पीढियां अक्षम हुई हैं, निधि नहीं जाती संभाले
रोज-रोज नए मॉडल का इंतज़ार करते हैं

हर गलती में हमारा भी कुछ हाथ होगा
इस सम्भावना से हम कहाँ इंकार करते हैं

चलो अच्छा ही हुआ हमने सच सुन लिया
वरना हम तो समझते थे कि हम तुमसे प्यार करते हैं

लाख चाहा ज़ुबॉ ना बोल पाई

रोज लेकर ख्वाहिशें नए बहानों से
गज़ल मिलती है अक्सर तरानों से
कभी चूड़ी, कभी पायल, कभी पलकें
तरन्नुम घूम रही यहीं ज़मानों से
बात पूरी समझ आए तो मज़ा नहीं
वरना हो जाती दुनिया खाली दीवानों से
जाड़े की धूप सी लगती है कुनकुनी वह
पड़े रहते हैं वहीं हम मयखानों से
लाख चाहा ज़ुबॉ ना बोल पाई मगर
रात करती रही बातें बस दीवारों से.

Roj lekar khwahishein naye bahano se
Ghazal milti hai aksar tarano se
Kabhi chudi, kabhi payal, kabhi palkein
Tarannum ghoom rahi yahin jamano se
Baat poori samjh aaye to maza nahin
Warna ho jati duniya khali diwano se
Jaade ki dhoop si lagti hai kunkuni woh
Pade rahte hain hum wahin maykhano se
Laakh chaha junban na bol payee magar
Raat karti rahi baatein bus diwaro se.
मुझे इतनी भी सज़ा ना दे, मेरे प्यार की इंतहा ना ले…
रुक जा ए चाँद थम जा ज़रा, दो घड़ी मुझे भी निहार ले…
मैं टूट कर बिखर चली, मेरी ख़ाक को यूँ हवा ना दे…

दो बोल तुझसे सुन सकूँ कभी, मैं इंतज़ार मे सदा रही…
तू चल पड़ा मुझे छोड कर, दीवार सी मैं खड़ी रही…
सहम गयी हूँ बस इस बात से, कहीं मुझको तू भुला ना दे…


ये क्या किया तूने ए दिल बता, प्यार तूने क्यों किया भला…
कैसे कहे अब ये मेरी ज़ुबान, इक बार तो मुझको गले लगा…
ख़ामोशी की ये आदत कही, मुझे बेजुबान ही बना ना दे…
Mujhe itni bhi saja na de, mere pyaar ki intaha na le
Ruk ja ae chaand tham ja jara, do ghari mujhe bhi nihar le
Mai toot kar bikhar chali, meri khak ko youn hawa na de..
Do bool tujhse sun saku kabhi, mai intzaar me sada rahi..
Tu chal para mujhe chor kar, deewar si mai khari rahi...
Saham gai hu is baat se, kahin mujhko tu bhula na de..
Ye kya kiya tune ae dil bata, pyaar tune kyon kiya bhala..
kaise kahe ab ye meri jubaan, ek baar to mujhko gale laga..
Khamoshi ki ye aadat kahin, mujhe bejubaan hi bana na de..

तेरी हर बात पे हम ऐतबार करते रहे

तेरी हर बात पे हम ऐतबार करते रहे
तुम हमें छलते रहे, हम तुम्हें प्यार करते रहे ।


कोशिशे करते तो शायद मंजिले मिल जाती
मगर अफ़सोस तुम वादे हज़ार करते रहे ।


मुझको मालूम था तुम नही आओगे फ़िर भी
एक उम्मीद सी लिए इंतज़ार करते रहे ।


ज़िन्दगी यूँ तो गुज़र रही है पहले की तरह
पर पिछले घाव कुछ जीना दुश्वार करते रहे ।

याद आते ही तुम्हारी , सीने के समंदर से
नयन भर - भर के अश्कों की बोछार करते रहे ।


एक घर मैं कहकहे और शहनाई की आवाज़
'दीपक' अरमान मेरा तार - तार करते रहे

शमा जलती है और परवाने चले आते हैं

शमा जलती है और परवाने चले आते हैं
सर के बल इश्क के दीवाने चले आते हैं

मेरे जज्बों में कुछ जान बाकी है अभी
ग़ज़ल के कुछ टूटे तराने चले आते हैं

मैंने दर्द को दिल के घरोंदों में पाला है
अश्क इसी बहाने वफ़ा निभाने चले आते हैं

दोस्त सारे वो गम में हमसे अजनबी निकले
जशन में सभी जो गले लगाने चले आते हैं

अब तो आ जाओ मेरी जान जनाज़ा उठने को है
लोग तो गैरों को भी दफ़नाने चले आते हैं

फितरत-ऐ-यार है सितम कर के मुस्कुराना
हम मुस्कुरा के जख्म खाने चले आते हैं

तब्बसुम से तेरे जो खिलती रहती है...
हम वो मौसम-ऐ-बहार को गले लगाने चले आते हैं

"अपनी नाकामी का एक शबब ये भी है
जो भी चीज़ मांगते हैं, सबसे जुदा मांगते हैं"


Shama jalti hai aur parwaane chale aate hai
sar ke bal Ishq ke diwaane chale aate hai

mere jazbon main kuchh jaan baaqi hai abhi
Ghazal ke kuchh tute taraane chale aate hai

Maine dard ko dil ke gharondo me paala hai
Ashk isi bahaane vafa nibhane chale aate hai

dost saare voh gam mai hamse ajnabi nikle
Jashn mai sabhi jo gale lagane chale aate hai

Ab to aa jaao meri jaan janaza uthne ko hai
Log to gairo ko bhi dafnaane chale aate hai

fitrat-e-yaar hai sitam kar ke muskuraana
Ham muskura ke zakhm khane chale aate hai

tabbasum se tere jo khilti rehti hai
ham voh mausam-e-bahar ko gale lagane chale aate hai...

"Apni Nakaami Kaa ik Sabab Ye Bhi Hai
Jo Bhi Cheez Maangte Hai Sabse Juda Maangte Hai."

कोई यह कैसे बताए कि वह तन्हा क्यों है,

कोई यह कैसे बताए कि वह तन्हा क्यों है,
वह जो अपना था वही और किसी का क्यों है,
यही दुनिया है तो फिर ऐसी यह दुनिया क्यों है,
यही होता है तो आख़िर यही होता क्यों है।

एक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो पकड़ लें दामन,
उसके सीने में समा जाए हमारी धड़कन,
इतनी क़ुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है।

दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई,
एक लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई,
आस जो टूट गई फिर से बंधाता क्यों है।

तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता,
कहते हैं प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता,
है जनम का जो यह रिश्ता तो बदलता क्यों है।

Thursday, April 22, 2010

Flower


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj

Saturday, April 17, 2010

ऐ मेरे प्यारे वतन,

ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझ पे दिल क़ुरबान
तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान

(तेरे दामन से जो आए उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस ज़ुबाँ को जिसपे आए तेरा नाम ) - २
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगीं तेरी शाम
तुझ पे दिल क़ुरबान ...

(माँ का दिल बनके कभी सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं सी बेटी बन के याद आता है तू ) - २
जितना याद आता है मुझको
उतना तड़पाता है तू
तुझ पे दिल क़ुरबान ...

(छोड़ कर तेरी ज़मीं को दूर आ पहुंचे हैं हम
फिर भी है ये ही तमन्ना तेरे ज़र्रों की क़सम ) - २
हम जहाँ पैदा हुए
उस जगह पे ही निकले दम
तुझ पे दिल क़ुरबान ...

Friday, April 16, 2010

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं

एक दोस्त है कच्चा पक्का सा,
एक झूट है आधा सच्चा सा
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा

जीवन का एक ऐसा साथी है,
जो दूर हो के पास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं

हवा का एक सुहाना झोंका है,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा

जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र,
जो समंदर है, पर दिल को प्यास नहीं
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं

एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है

यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं...


Koi tumse puche kon hu mai,

Tum kah dena koi khas nahi



Ek dost hai kacha pakka sa,

Ek jhuth hai aadha sacha sa

Jazbat ko dhake ek parda bas,

Ek bahana hai acha acha sa



Jeevan ka ek aisa saathi hai,

Jo dur ho ke paas nahi

Koi tum se puche kon hu mai,

Tum kah dena koi khas nahi



Hawa ka ek suhana jhonka hai,

Kabhi nazuk to kabhi tufano sa

Shakl dekh kar jo nazre jhuka le,

Kabhi apna to kabhi begano sa



Jindagi ka ek aisa hamsafar,

Jo samandar hai par dil ko pyaas nahi

Koi tum se puche kon hu mai,

Tum kah dena koi khas nahi



Ek saathi jo ankahi kuch baate kah jaata hai

Yaado me jiska ek dhundhla chehra rah jaata hai

Youn to uske na hone ka kuch gam nahi,

Par kabhi kabhi ankho se aanshu ban ke bah jaata hai



Youn rahta to mere tassavur me hai

Par in aankho ko uski talash nahi......

खिल जाएगा आसमान

जो भी समझ रहा है, सच ही कह रहा है
दिल क है मगर ना जाने कौन रह रहा है

अपनी ही नहीं सबकी हालत यही हो गई है अब
कंधा किसी का किसी के संग चल रहा है

सुनिधि जी की तबीयत नासाज है, खबर है
खिल जाएगा आसमान, मौसम यह कह रहा है.



Jo bhi samjh raha hai, sach hi kah raha hai
Dil ek hai magar na jane kaun rah raha hai

Apni hi nahin sabki halat yahi ho gayi hai ab
Kandha kisi ka kisi ke sang chal raha hai

Sunidhi ji ki tabiyat nasaz hai, khabar hai
Khil jayega aasman, mausam yah kah raha hai.

Is tarha nahi karte

Is tarha nahi karte, rabta to rakhte hain
thora milne julne ka - silsala to rakhtay hain

manzilain buland hon to, mushkilain bhi aati hain
mushkilon say larne ka - hosla to rakhtay hain

jo tumharay apne hon, tum say piar kartay hon
un ka haal kaisa hai - kuch pata to rakhtay hain

Kareeb mout khari hay zara thair jao

Kareeb mout khari hay zara thair jao
Qaza se aankh lari hay zara thair jao


Thaki thaki si fazayen bohjal bohjal se tare
Bari udas ghari hay zara thair jao


Naheen umeed k hum aaj ki saher dekheen
Yeh raat hum pe kari hay zara thair jao


Abhi na jao k taroon ka dil dharakta hay
Tamaam raat pari hay zara thair jao


Dam-e-fraq main tumain jee bhar k dekh to lain
Yeh faisle ki ghari hay zara thair jao


Phir is k baad na hum tum ko rokain ge
Laboon pe saans ari hay zara thair jao...!

Kasur sirf itna tha

Jab Zindagi ko samjha to zindagi se dur the hum
Marna chaha par jeene ko bewajah mazbur the hum
Har saza bina awaz kabool ki hamne sar jhuka kar
Kasur sirf itna tha tha ki bas bekasur the hum

Geele kagaz ki tarah

Geele kagaz ki tarah hai zindgi apni
Koi likhta bhi nahi, koi jalata bhi nahi

Is kadar akele ho gaye hai hum aajkal
Koi satata bhi nahi, koi manata bhi nahi.

Sukhi pathon ki tarah hai zindagi apni
Koi rangon ki mehfill banata bhi nahi

Subha aati hai ek shaam ke baad
Koi aapna banake dil mein sajata bhi nahi

Thursday, April 1, 2010

हम राह हो जायें

चल मसल दें चाह को इक राह हो जायें
जैसे भूखे पेट की हम राह हो जायें

एक तरसती जिंदगी को और हम कितना लुभायें
चल मिलकर एक हवं की हम डाह हो जायें

जिस्म चाहत, दिल की आहात और अबूझा घबराहट
कश्तियों से उतर हम लहरों की चाह हो जायें

चल उतारें अपने चहरे पर लगे कई चहरे
पढ़ निगाहों को जुदा की हम वाह हो जायें

जिस्म की गलियों से कोई न निकल पाया अभी तक
दिल के दमन में मोहब्बत का चारागाह हो जायें

किस लिए हम चुकाएं औरों सी जिंदगी अपनी
ऐसे जियें संग सबके की परवाह हो जायें .



Chal masal dein chah ko ik raah ho jayein
Jaise bhukhe pet ki hum raah ho jayein

Ek tarsati jindagi ko aur hum kitna lubhayein
Chal milkar ek havan ki hum daah ho jayein

Jism chahat, dil ki aahat aur aboojha ghabrahat
Kashtiyon se utar hum leharon ki chah ho jayein

Chal utarein apne chehare par lage kayi chehare
Padh nigahon ko juda ki hum waah ho jayein

Jism ki galiyon se koi na nikal paya abhi tak
Dil ke daman me mohabat ka charagah ho jayein

Kis liye hum chukayein auron si jindagi apni
Aise jiyein sang sabke ki parwah ho jayein.

==== Hindi SMS ====6

कर के आँखे नम,क्या दिखाना चाहती है जिंदगी?
देकर इतने गम,क्या सिखाना चाहती है जिंदगी?
पहले मिला कर फिर तकदीर में लिख देती है जुदाई,
ये दर्द-ए-दिल से हमे क्या मिटाना चाहती है जिंदगी.
Kar K Aankhe Nam,Kya Dikhana Chahti He Zindgi?

Dekar Itne Gum,Kya Sikhana Chahti He Zindgi?

Pehle Mila Kar Fir Taqdeer Me Likh Deti He Judaai,

Ye Dard-E-Dil Se Hume Kya Mitana Chahti He Zindgi.

==== Hindi SMS ====

आरजू में तेरे दीवाने हो गए,
तुझे दोस्त बनाते-बनाते बेगाने हो गए,
कर दे एक SMS इस नाचीज़ को,
तेरी भी बकवास पढ़े ज़माने हो गए

Aarzu Me Tere Deewane Ho Gaye,

Tuzhe Dost Banate-Banate Begaane Ho Gaye,

Kar De Ek SMS Is Naacheez Ko,

Teri Bhi Bakwaas padhe Zamane Ho Gaye

==== Hindi SMS ====

कभी कभी दोस्ती में दूरियां आ जाती है
कभी कुछ मजबुरियां आ जाती है
इन दूरियों का आना भी जरुरी है
ये दुरिया ही तो सच्ची दोस्ती का एहसास दिलाती है.

Kabhi kabhi dosti me duriya aa jati hai

kabhi kuch mazburiya aa jati hai

In duriyo ka aana v jaruri hai

ye duriya hi to sachi dosti ka ehsaas dilati hai.

==== Hindi SMS ====

जब हो ज़रूरत तो कोई सहारा नही आता,
बगैर रात के असमान में सितारा नही आता.
अभी वक़्त है थाम लो हमारी दोस्ती का हाथ,
ऐसा दोस्त ज़िन्दगी में दोबारा नहीं मिलता.

Jab ho zarurt to koi sahara nhi ata,

bagair rat k asman me sitara nhi ata.

abhi waqt h thamlo hamari dosti ka hath,

aisa dost zindagi me dobara nai milta.

==== Hindi SMS ====

ढल गयी शाम वो ही रात आ गयी,
फिर से तन्हाई में खोने की बात आ गयी.
अभी तो बैठे ही थे तारों की पनाह में,
चाँद को देखा और आपकी याद आ गई.

Dhal gayi shaam wo hi raat aa gayi,

phir se tanhai me khone ki baat aa gayi.

abhi to baithe hi the taaron ki panah me,

chand ko dekha aur aapki yaad aa gai.
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