दिल मैं जब तेरी लगन रक्श किया करती थी
मेरी हर साँस मैं खुशबु सी बसा करती थी
अब तो महफिल से भी होता नही कुछ ग़म का इलाज
पहले तन्हाई भी दुःख बाँट लिया करती थी
अब जो रक्सां है कई रंग भरे चेहरों में
यही मिटटी कभी बेकार उड़ा करती थी
रंग के जाल ही मिलते हैं जिधर जाता हूँ
रौशनी यूँ न मुझे तंग किया करती थी
अब मुझे चांदनी कुछ भी तो नही कहती है
कभी ये तेरे संदेशे भी दिया करती थी
किस कदर प्यार से ये पेड़ बुलाते थे मुझे
किस तरह छाओं तेरा जीकर किया करती थी
ये दर-ओ-बाम कभी शाम लिपटते थे मुझे
हर गली बढ़ के क़दम चूम लिया करती थी
Wednesday, January 19, 2011
दिल मैं जब तेरी लगन रक्श किया करती थी
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,
यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले,
तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा में दरख्त,
कैसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले,
उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक,
ख़त निकाले हुए बैठा हूँ पुराने वाले,
आ कभी देख ज़रा उन की शबों में आकर,
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,
कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं,
राज़ होते नहीं सब मुंह से बताने वाले,
आज न चाँद ना तारा है ना जुगनू कोई,
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले...!!!
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले,
तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा में दरख्त,
कैसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले,
उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक,
ख़त निकाले हुए बैठा हूँ पुराने वाले,
आ कभी देख ज़रा उन की शबों में आकर,
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,
कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं,
राज़ होते नहीं सब मुंह से बताने वाले,
आज न चाँद ना तारा है ना जुगनू कोई,
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले...!!!
कब ....जब वोह लौट कर आएगी
फिर बर्फ गिरिगी और फिर प्रेम होगा
फिर प्रेम के दीवाने मे होगे हम
होगा फिर दिल दीवाना हमारा
कब ....जब वोह लौट कर आएगी
फिर नज़रें झुकेंगी
फिर उनकाही कही जाएगी
फिर अफसानो मे होगे हम
होगा फिर अफसाना हमारा
कब .जब वोह हौले हौले मुस्कुराएगी
फिर रंगीन शामे होगी
फिर होगा उजाला सवेरा
फिर महेकानो मे होंगे हम
होगा फिर महकाना हमारा
कब ...जब वोह दिल मे उत्तर जाएगी
जब वोह लौट कर आयगी
फिर प्रेम के दीवाने मे होगे हम
होगा फिर दिल दीवाना हमारा
कब ....जब वोह लौट कर आएगी
फिर नज़रें झुकेंगी
फिर उनकाही कही जाएगी
फिर अफसानो मे होगे हम
होगा फिर अफसाना हमारा
कब .जब वोह हौले हौले मुस्कुराएगी
फिर रंगीन शामे होगी
फिर होगा उजाला सवेरा
फिर महेकानो मे होंगे हम
होगा फिर महकाना हमारा
कब ...जब वोह दिल मे उत्तर जाएगी
जब वोह लौट कर आयगी
Main Dil Se Baatain Krti Thi
Main Dil Se Baatain Krti Thi
Dil Mujhse Baatin Krta Tha
Main Uski Sunti Rehti Thi
Wo Meri Sunta Rehta Tha
Hm Dono Apni Apni Baatain
Ek Dooje Se Kehte Thay
Aur Ek Dosry Ki Baaton Par
Hum Dheron Hanste Rehte Thay
Main Dil Ki Dost Hi Acchi Thi
Dil Mera Dost Hi Accha Tha
Wo Mere Dard Ko Sehta Tha
Main Uske Dard Ko Sehti Thi
Ki Hai Jab Se Isne Muhabbat
Main Bhi Roti Rehti hoon Aur
Wo Khud Bi Rota Rehta Hai…….!
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