Wednesday, January 19, 2011

दिल मैं जब तेरी लगन रक्श किया करती थी

दिल मैं जब तेरी लगन रक्श किया करती थी

मेरी हर साँस मैं खुशबु सी बसा करती थी

अब तो महफिल से भी होता नही कुछ ग़म का इलाज

पहले तन्हाई भी दुःख बाँट लिया करती थी

अब जो रक्सां है कई रंग भरे चेहरों में

यही मिटटी कभी बेकार उड़ा करती थी

रंग के जाल ही मिलते हैं जिधर जाता हूँ

रौशनी यूँ न मुझे तंग किया करती थी

अब मुझे चांदनी कुछ भी तो नही कहती है

कभी ये तेरे संदेशे भी दिया करती थी

किस कदर प्यार से ये पेड़ बुलाते थे मुझे

किस तरह छाओं तेरा जीकर किया करती थी

ये दर-ओ-बाम कभी शाम लिपटते थे मुझे

हर गली बढ़ के क़दम चूम लिया करती थी

कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,

यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले,

तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा में दरख्त,
कैसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले,

उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक,
ख़त निकाले हुए बैठा हूँ पुराने वाले,

आ कभी देख ज़रा उन की शबों में आकर,
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,

कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं,
राज़ होते नहीं सब मुंह से बताने वाले,

आज न चाँद ना तारा है ना जुगनू कोई,
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले...!!!

कब ....जब वोह लौट कर आएगी

फिर बर्फ गिरिगी और फिर प्रेम होगा
फिर प्रेम के दीवाने मे होगे हम
होगा फिर दिल दीवाना हमारा
कब ....जब वोह लौट कर आएगी

फिर नज़रें झुकेंगी
फिर उनकाही कही जाएगी
फिर अफसानो मे होगे हम
होगा फिर अफसाना हमारा
कब .जब वोह हौले हौले मुस्कुराएगी

फिर रंगीन शामे होगी
फिर होगा उजाला सवेरा
फिर महेकानो मे होंगे हम
होगा फिर महकाना हमारा
कब ...जब वोह दिल मे उत्तर जाएगी
जब वोह लौट कर आयगी

Main Dil Se Baatain Krti Thi

Main Dil Se Baatain Krti Thi

Dil Mujhse Baatin Krta Tha

Main Uski Sunti Rehti Thi

Wo Meri Sunta Rehta Tha

Hm Dono Apni Apni Baatain

Ek Dooje Se Kehte Thay

Aur Ek Dosry Ki Baaton Par

Hum Dheron Hanste Rehte Thay

Main Dil Ki Dost Hi Acchi Thi

Dil Mera Dost Hi Accha Tha

Wo Mere Dard Ko Sehta Tha

Main Uske Dard Ko Sehti Thi

Ki Hai Jab Se Isne Muhabbat

Main Bhi Roti Rehti hoon Aur

Wo Khud Bi Rota Rehta Hai…….!

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