Sunday, May 30, 2010

कैसी थी वो रात

कैसी थी वो रात


कैसी थी वो रात, कुछ कह सकता नही मैं
चाहूं कहना तो बयान कर सकता नही मैं

दुल्हन बनके मेरी जब वो बाहों मे आई थी,
सेज सजी थी फूलों की, प्र उसने महकाई थी......

घूँघट मे एक चाँद था, और सिर्फ़ तन्हाई थी,
आवाज़ दिल के धड़कने की भी फिर ज़ोर से आई थी.....

प्यार से जो मैने घूंगट चाँद पैर से हटाया था,
प्यार का रंग भी उतर कर उसके चेहरे पैर आया था......

बाहों मे लेकर उसको, फिर लबों की लाली चुराई थी,
उस सर्द रात मे साँसे भी शोला बन कर टकराई थी....

टीका, बिंदी, कंगन, पायल सबने शोर मचाया था,
जब उसके शोख बदन को मैने अपना हाथ लगाया था......

डूब गये थे हूँ-वो दहकी सी प्यार की आग मे,
तोड़ दिया था हमने कलियों को उसके प्यार के बाग़ मे........

क्या बतलाएँ अब हम वो रात मेरी किस कदर निराली थी,
हुमारी सुहाग की वो रात, जो इतनी मतवाली थी.......

वो रात बड़े नसीबो से आई थी
मुद्दतो के बाद वो हशीन घड़ी आई थी

इंतज़ार भी थक गया उसके लिए
ह्रर रात उसकी च्ाह में डूब के बिताई थी

मचलती रही यू अकेले सर्द रातो में
जैसे कोई मछली पानी से बाहर चली आई थी

अब जा के चैन मिला इन बैचैंन धड़कनी को
जब उनके सीने से मेरे नाम की आवाज़ आई थी

ह्रर कोर जिस्म की उनके राग में रंगी है
जबसे वो "सुहाग रात" उनके साथ मनाई थी

वो रात बड़े नसीबो से आई थी
मुद्दतो के बाद वो हसीन घड़ी आई थी

इंतज़ार भी थक गया उसके लिए
हर रात उसकी चाह में डूब के बिताई थी

मचलती रही यू अकेले सर्द रातो में
जैसे कोई मछली पानी से बाहर चली आई थी

अब जा के चैन मिला इन बैचैन धड़कनी को
जब उनके सीने से मेरे नाम की आवाज़ आई थी

ह्रर कोर जिस्म की उन के राग में रंगी है
जबसे वो "सुहाग रात" उनके साथ मनाई थी

हैर रात हम, तेरे साथ बिताना चाहते हैं
हैर रात हुमारी, यादगार बनाना चाहते हैं

तू बनी रहे यूँ ही मेरे चमन का गुल,
हम बनके भँवरा हैर रात तुझे खिलाना चाहते हैं

तू यूँ ही मचले, अब भी सर्द रातों मैं
हम बनके आँच तुझे और भड़काना चाहते हैं

लिपटी रहे तू मेरी बाहों के झूले मैं
हम दिल की डोर से तुझे झुलाना चाहते हैं

बढ़ जाए तेरी ये बैचैंनी, तड़पं ये तेरी,
इस तड़पं को ह्रर रात हम मिटाना चाहते हैं

कभी पूरी ना हो ये मेरी प्यार भरी रात,
हैर रात हम तेरी, सुहाग की रात बनाना चाहते हैं

Thursday, May 27, 2010

खुद अपनी पहचान से अंजान हूँ मैं,

खुद अपनी पहचान से अंजान हूँ मैं,
अपनी पहचान आपसे करवाऊँ कैसे ??
कुछ सिमटी हुई छोटी सी दूनिया है मेरी ,
इस दिल की गहराइयों में आपको ले जाऊं कैसे ??
आसमान की ऊँचाइयों तक मेरे ख्वाब बिखरे हैं ,
अपने अरमानों की हद आपको दिखाऊँ कैसे ??
मुस्कुराना मेरी आदत है आंसुओं को छुपा कर ,
पर हर ग़म को अपनी हसी से बहलाऊँ कैसे ??
दोस्ती ही मेरी चाहत है और दोस्त मेरी ज़िन्दगी ,
इश्क से अपनी बेरुखी का सबब बताऊँ कैसे ??
होकर मेरी सरहदों में शामिल आप ही जान लो मुझे ,
किस्सी और तरह आपको खुद से मिलवाऊँ कैसे ??

तेरे नाम का खुबसूरत

ere naam ka khubsurat ek paigaam liye chalte hai,
Tu mil jaaye, har gazal mai ek shaam liye chalte hai.

ek nazar bhi agar daale chaand tumpe to ho sharminda,
Ham teri hi rahgujar pe ye gumaan liye chalte hai.

Tumne meri vafaa se apna daaman jo sajaaya hai,
Aur ham hai ke "Bewafaa" ka upnaam liye chalte hai.

Mil jaaye is jahaan ki khushiya tamaam tujhko,
Ham apne Khali dil mai ye armaan liye chalte hai.

Vaqt na karta jo daga to aaj tum hamaare hote,
Har jakhm pe tere naam ke muskaan liye chalte hai.

Izhaar-e-dil kiya tha ya ek gunaah kiya tha,
Saari umar hothon ko bejubaan liye chalte hai.

Apni maiyat ko nahi hai nasib sahaara bhi tera,
Janaaze mai teri parchhayi ki awaam liye chalte hai.

Ruh ko hamaari abhi bhi bas teri arzoo hai,
Apni hi kabra mai ek laas anjaan liye chalte hai.

Ab agle janam mai tumse phir mulaakat hogi,
Isi aarzoo mai Vafaa ka phir gulistaan liye chalte hai

ek umar to aayegi ke tu mujhko hi chahegi,
Sadiyo tak in khwaabo ka Jahaan liye chalte hai.
तेरे नाम का खुबसूरत एक पैगाम लिए चलते हैं
तू मिल जाए हर ग़ज़ल में एक शाम लिए चलते हैं

एक नज़र भी अगर डाले चाँद तुम पे तो हो शर्मिंदा
हम तेरी ही रहगुजर पे ये गुमान लिए चलते हैं

तुमने मेरी वफ़ा से अपना दामन जो सजाया है
और हम हैं कि "बेवफा" का उपनाम लिए चलते हैं

मिल जाएँ इस जहाँ कि खुशियाँ तमाम तुझको
हम अपने खाली दिल में ये अरमान लिए चलते हैं

वक़्त न करता जो दगा तो आज तुम हमारे होते
हर जख्म पे तेरे नाम कि मुस्कान लिए चलते हैं

इज़हार-ऐ-दिल किया था या एक गुनाह किया था
सारी उम्र होठों को बेजुबान लिए चलते हैं

अपनी मय्यत को नहीं है नसीब सहारा भी तेरा
जनाज़े में तेरी परछाई की अवाम लिए चलते हैं

रूह को हमारी अभी भी बस तेरी आरजू है
अपनी ही कब्र में एक लाश अनजान लिए चलते हैं

अब अगले जनम में तुमसे फिर मुलाकात होगी
इसी आरजू में वफ़ा का फिर गुलिस्तान लिए चलते हैं

एक उम्र तो आएगी कि तू मुझको ही चाहेगी
सदियों तक इन ख्वाबों का जहाँ लिए चलते हैं

राज

आप भी हैं जिंदगी यह न भूल जाईए.

पलकों की घूंघट में नयनों की पनघट में
मंद-मंद मुस्कान लिए एक अरमान लिए
धीरे-धीरे यूं आप तो चले आईए
होठों की मदिरा को मुझपर बरसाईए
मेरी निगाहों में आप भी बड़ी खास हैं
मन मोहिनी लिए आप भी विश्वास हैं
इकरार को एतबार से ना भरमाईए
ख्वाबों को खुश्बू से आज भर जाईए
होंगे आपके परवाने, दीवाने तो कई
आप पर मरनेवाले आपसे जीनेवाले कई
एक सदा मेरी भी पल भर सुन जाई
दूसरों की धुन ही सही शब्द मेरे गाईए
यूं तो हम दो देह हैं पर एक नेह हैं
इंसानियत में भींगा अनमोल स्नेह हैं
दिल की धड़कन की तड़पन ना बुझाईए
आप भी हैं जिंदगी यह न भूल जाईए.

Palkon ki ghoonghat me nayno ki panghat me
Mand-mand muskan liye ek arman liye
Dhire-dhire yun aap to chale aayiye
Hothon ki madira ko mujhpar barsayiye
Meri nigahon me aap bhi badi khas hain
Man mohoni liye aap bhi vishwash hain
Ikrar ko aitbar se na bharnayiye
Khwabon ko khushbu se aaj bhar jayiye
Honge aapke parwane, diwane to kayi
Aap par marnewale, aap se jinewale kayi
Ek sada meri bhi pal bhar sun jayiye
Doosaron ki dhun sahi shabd mere gayiye
Yun to hum do deh hain par ek neh hain
Insaniyat me bhinga anmol sneh hain
Dil ki dhadkan ki tadpan na bujhayiye
Aap bhi zindagi yah na bhool jayiye.

ख्वाबों की दुनिया में लिपटी हुई थी

ख्वाबों की दुनिया में लिपटी हुई थी
अरमानों की अब मैं मुनादी चाहती हूँ
बहुत दिनों बाद फुरसत मिली तो देखा
दुनियादारी हो ना खफा, माफी चाहती हूँ
अब ना बलम संग खेलूं ऐसा खेल मैं
जाउं ना दूर बहुत, संगी साथी चाहती हूं
चतुर,चपल चंचल,चुहलबाज सनम हैं
जाउं ना जग छोड़, अब माफी चाहती हूँ
भाव बुदबुदाते हैं, शब्द गुनगुनाते हैं रोज
कविता में डूब गीत मनभाती चाहती हूं
जिस्म के राग-रंग उफ जैसे होली के भंग
चाहूं चलना मैं दुनिया संग, माफी चाहती हूं.

Khwabon ki duniya me lipati huyi thi
Armano ki ab main munadi chahti hoon
Bahut dino baad Fursat mili to dekha
Duniyadaqri ho na khafa, maafi chahti hoon
Ab na balam sang khelun aisa khel main
jaun na door bahut, sangi sathi chahti hoon
chatur, chapal, chanchal, chuhalbaz sanam hai
jaun na jag chhod, ab maafi chahti hoon
Bhaw budbudate hain, shabd gundunate hain roz
Kavita me doob geet manbhati chahti hoon
Jism ke raag-rang uff jaise holi ke bhang
Chaoon chalna main dniya sang, mafi chahti hoon.

अश्क ज्यादा सिने में कम आँखों में मिले

अश्क ज्यादा सिने में कम आँखों में मिले
जब भी मिले वो हमें बस ख्वाबों में मिले


गुजरी है उम्र सारी मेरी जिनके इंतज़ार में
कल वो झूमते हुए गैरों की बाँहों में मिले


कैसे करलें ऐतबार उनके वादों पर हम ऐसे
जितने भी मिले हमें यहाँ नकाबों में मिले


कितने बेबस थे वफाओं की दहलीज़ पे खड़े हुए
बेवफाई के तोहफे हमें तो खिताबों में मिले


कतरा कतरा जलती रही और बुझती रही "पूजा"
गम-ऐ-हयात क्यों उसे ही बेहिसाबों में मिले




Ashk Jyaada Seenay Mein Kam Aankhon Mein mile
jab bhi mile wo humein bus khawaabon mein mile

Gujari hai umar sari meri jinke intezaar mein
kal wo jhoomte hue gairon ke baahon mein mile

kaise karlein aitbaar unke waadon per hum aise
jitne bhi mile humein yahaan naqaabon mein mile

kitne bebas the wafaon ke dahleez pe khade hue
bewafai ke tohfe humein to khitaabon mein mile

Qatra Qatra jalti rahi aur bhujhti rahi "Pooja"
gham-e-hayaat kyun use hi behisaabon mein mile


--
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj Sharma --

Monday, May 3, 2010

हम ही हैं तुम्हारे तुम्हे प्यार करते हैं .

देखो ना कितने लोग तुम्हे प्यार करते हैं
खामखा मेरे दिल से क्यों तकरार करते हैं

तुम्हारी शबनमी आँखों की झिलमिलाहट में
मेरे सिवा क्यों लोग एक अधिकार रखते हैं

जरा से बोल पर तुम क्यों बहकती हो इतना
जिसे देखो वही तुम्हारा दरकार करते हैं

चहकती तुम भी सबको लुटा देती हो सपना
तुम्हे अपना बनाने को सब चीत्कार करते हैं

ना अब और नहीं देखा जायेगा मुझसे यह
हम ही हैं तुम्हारे तुम्हे प्यार करते हैं .



Dekho na kitane log tumhe pyar karte hain
Khamkha mere dil se kyon takrar karte hain

Tumhari shabnami aankhon ki jhilmilahat me
Mere siwa kyon log ek adhikar rakhte hain

Jara se bol per tum kyon bahakti ho itna
Jise dekho wahi tumhara darkar karte hain

Chahkti tum bhi sabko luta deti ho sapna
Tumhe apna banane ko sab chitkar karte hain

Na ab aur nahin dekha jayega mujhase yah
Hum hi hain tumhare tumhe pyar karte hain

आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो

आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो

आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते और ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
Aaj ek baar sab se muskurake baat karo
Bitaye hue palo ko saath saath yaad karo
Kya pata kal chehre ko muskurana
Aur dimag ko purane pal yaad ho na ho
Aaaj ek baar phir purani bato me kho jao
Aaj ek baar phir purani yadon me doob jao
Kya pata kal ye baatein aur ye yaadein ho na ho
Aaj ek baar mandir ho aao
Pooja kar ke parsad bhi chadhao
Kya pata kal ke kalug me
Bhagwan par logo ki shardha ho na ho
Baarish me aaj khub bhigo
Jhum Jhum ke bachpan ki tarah naacho
Kya pata beete hue bachpan ki tarah
Kal ye baarish bhi ho na ho
Aaj har kaam khub dil laga kar karo
Use tay samay se pahle pura karo
Kya pata aaj ki tarah
Kal bajuon me taqat ho na ho
Aaj ek baar chain ki neend so jaao
Aaj koi acha sa sapna bhi dekho
Kya pata kal jindagi me chain
Aur aankho me koi sapna ho na ho
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